उसके पास निर्ममता का
अंधा उद्गार भी था।
उसके पास करुणा का
सुकोमल स्पंदन भी था।
प्रथमतया उसकी निर्ममता ने
तांडव रचा।
फिर उसकी करुणा ने
मनोरम गीत रचे।
निर्ममता से वो
पाप का भागी बना।
करुणा ने उसे
पुण्य के योग्य बनाया।
जब समय आया
जीवन के अंतिम फल का।
तब करुणा को
प्राथमिकता मिली
और उसे मुक्ति।
इस प्रकार करुणा ने
निर्ममता पर
विजय प्राप्त कर ली।
"चल अविनाश अब चलते है मन की उड़ान हम भरते हैं. बंद आँखों की बातो को,अल्हड़ से इरादों को, कोरे कागज पर उतारेंगे अंतर्मन को थामकर,बाते उसकी जानेंगे चल अविनाश अब चलते है मन की उड़ान हम भरते है"
बुधवार, 15 जून 2022
गुरुवार, 2 जून 2022
कवि का सामर्थ्य
कवियों ने तो खोजा था मरुस्थल में नीर
उन्होंने ही ढूंढें थे पत्थरों की भीड़ में फूल।
प्रचंड तूफान में दिखा था उन्हें ही द्वीप
घने अंधेरों में भी वो थे उजालों में मशगूल।
कलम के प्रेम में गाते थे सुख के गीत
वो तब खुश थे,जब था सब कुछ प्रतिकूल।
कहीं छिड़ उठा था निर्वात में भी संगीत
कवियों ने ही तो हटाए थे चुप्पियों के शूल।
कवियों ने बोए हैं आशा के नव बीज
तब जब नही था कुछ भी उनके अनुकूल।
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