"तुम मुझे भूल जाओ,
मै तुम्हे भूल जाता हूँ।
विरह की नौका पर बैठकर,
अश्रुधारा पर पतवार चलाता हूँ। .
बेरुखी तुम दिखाना,
मै रुख बदल लेता हूँ।
नम आँखों से,
यादो के समंदर में गोते लगाता हूँ।
किताब के पन्ने पलटते-पलटते,
वो फूल मुरझाया सा नजर आएगा।
घूमने लगेगा तेरा चेहरा आँखों के सामने,
वक़्त ठहर सा जायगा।
जिन्दी चलती रहेगी अपनी रफ़्तार स,
कभी नजरो से सामने वो बगीचा आएगा।
नरजे दौड़ेंगी अतीत की ओर,
कुछ धुंधला सा तेरा-मेरा चेहरा नजर आएगा।
कभी सब्जिया लेते हुए बाजार में,
एकाएक कोई मुझसे टकरायगा,
सिहर उठेंगी साँसे,
फिर यादो का सैलाब,
अतीत के पन्नो की ओर,
समेट ले जायगा.
अरमान फिर मचलेंगे
बेकरारी फिर बढ़ेगी
तू मेरा है में तेरा हूँ,
अकेले तनहा अब कौन कहा जायगा"